Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 33 ) है। इसमें श्रीमालजनों के 8 घर हैं, जो अच्छे भावुक हैं। यहाँ छोटा शिखरबद्ध प्राचीन जिनालय है, जिसका जीर्णोद्धार यहीं के जैनोंने कराया है। इसमें मूलनायक श्रीमहावीरप्रभु की वादामीरंग की श्वेतवर्ण एक हाथ बडी भव्य मूर्ति स्थापित है, जो प्राचीन है / 19 महेसाणा सुन्दर चोहटा और श्रेणिबद्ध हाटों से अलंकृत यह शहर देखने लायक है / इसमें चारों तरफ पक्की सडकें और सड़कों पर एलेक्ट्री की रोशनी झगमगा रही है। शहर के लगता ही स्टेशन भी है, जिससे शहर का विस्तार दुगुणा देख पडता है। शहर में श्वेताम्बर जैनों की बडी बडी तीन धर्मशाला और पांच उपाश्रय हैं / यहाँ जैनश्रेयस्करमंडल और उसके आश्रित श्रीयशोविजयजी जैन पाठशाला अच्छे प्रबन्ध के साथ प्रचलित है / इस पाठशाला से प्रतिवर्ष अनेक जैन बालक सार्थ पंचप्रतिक्रमण, जीव विचार, नवतत्त्व, दंडक, संग्रहणीसूत्र और कर्मग्रन्थ की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर निकलते हैं / संस्कृत में मार्गोपदेशिका, हैमलघुप्रक्रिया और प्राकृतव्याकरण का भी इसमें अभ्यास कराया जाता है / मंडल के तरफ से पाठशालाओं में अभ्यास कराने योग्य साहित्य और प्राचीन प्रकरणादि ग्रन्थ भी प्रतिवर्ष छपाकर अल्पमूल्य