Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (32 ) से 14 वीं शताब्दी तक की प्रतिष्ठित हैं / दूसरा मन्दिर जिसमें श्वेतवर्ण सवाहाथ बडी श्रीशांतिनाथ की और तीसरे गृहमन्दिर में धातुमय श्रीशांतिनाथ-पंचतीर्थी प्रतिमा विराजमान है। शहर के पूर्व किनारे पर 'उमयादेवी' का शिखरबद्ध देवल है, जो एक छोटे परकोटे से घिरा हुआ है / यह देवी पटेलियाओं ( कणबियों ) की कुलदेवी है / कणबियों का अन्ध-विश्वास है कि-' प्रति बारहवें वर्ष सिंहस्थ में देवीजी विवाहमुहूर्त का परचा (पत्र) देती हैं / ' वस, उसी परचे के विश्वास पर एक ही दिन एक साथ भारतवर्षीय कणबियों में विवाह-विधान हो जाता है / इण्डिया भर के सभी कणवी प्रतिवर्ष उमयादेवी का जुहार करने को आते हैं / इस देवी का पूजारी अच्छा मालदार है, प्रतिवर्ष उसके हजारों रूपयों की आवक है। 17 ईठोर इस छोटे गाँव में दशा पोरवाडों के 25 घर हैं, जिनमें 10 घर जैनेतर (वैष्णव ) और शेष जैन हैं / एक छोटा उपासरा और एक गृहमन्दिर है, जिसमें दर्शनार्थ धातुमय छोटी पंचतीर्थी स्थापित है। 18 देऊ... मांडस्टेशन से पूर्व आधा माइल दूर यह गाँव वसा