Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ इनमें नम्बर 7 वाला सं० 1853 में, नं० 8 वाला सं० 1951 में, नं० 9 बाला सं० 1946 में और नंबर 10 वाला सं० 1856 में बना, और नं०१ से 6 तक के जिनालय इनके. पहले के बने हुए समझना चाहिये / इन में नंबर 7 वाला मंदिर पटवा कपूरचंद ऋषभचंद का और नं० 9 वाला वीरचंद करमचंद का बनवाया हुआ है / 20 बोरीया यहाँ श्रीमाल जैनों के धर्मप्रेमी और गुणानुरागी 8 घर हैं। एक छोटा उपाश्रय और ऊपर के होल में धातुमय जिनपंचतीर्थी विराजमान है / इसमें आंजणा कणवियों की वस्ती अधिक है / इससे थोडी दूर बी. बी. एन्ड सी. आई रेल्वे का स्टेशन भी है। 21 झोटाणा झोटाणा-रेल्वे स्टेशन से दहिने तरफ चार फाग दूर यह गाँव वसा है / श्रीमालजैनों के यहाँ 40 घर हैं, जो जैन मुनिवरों के पूर्ण-भक्त हैं। एक उपाश्रय और एक शिखरबद्ध जिनालय है, जिसमें मूलनायक श्रीऋषभदेव की भव्य प्रतिमा स्थापित है। यहाँ पोस्ट ऑफिस और कपास कातने की तीन झीणें हैं। गाँव छोटा होने पर भी शहर के समान शोभित है।