Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 34 ) में वेचे जाते हैं और अब तक इस संस्था के तरफ से अनेक उपयोगी ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं / शहर में श्वेताम्बरजनों के श्रेणीबद्ध पांच और छुटकर पांच, एवं दश जिनालय हैं, जो अच्छे दर्शनीय और यात्रा करने लायक हैं। इनमें सब से बड़ा, देवकुलिकाओं से अलङ्कृत और पचरंगी लादियों से मोहित करनेवाला सौधशिखरी मनरंगा-पार्श्वनाथ का जिनालय है। इसके मूलनायक श्रीपार्श्वनाथप्रभु की सर्वाङ्क-सुन्दर प्रतिमा है, जो प्रभावशालिनी और पूजनीय है / जिनमन्दिरों की तालिका नीचे मुताबिक है मूलनायक-जिनप्रतिमा शि प्रतिमा किस मोहल्ले में 1 मनरंगा-पार्श्वनाथ | शिखरबद्ध 2 श्रीकुन्थुनाथजी 3 श्रीपद्मप्रभस्वामी 4 श्रीमहावीरस्वामी 5 श्रीशान्तिनाथजी 6 श्रीसंभवनाथजी 7 श्रीशान्तिनाथजी धूमटदार 8 श्रीसुमतिनाथजी | शिखरबद्ध 9 श्रीऋषभदेवजी , 10 श्रीऋषभदेवचरण- देवकुलिका युगल Mm wom भाटवाडा नाके जेठामेताकी खडकी संघवी की पोलमें पारेख की खडकी में पारेख की खडकी में संभवनाथकी पोल पटवाकी पोलमें हबेली के पास मोचीवाडा में शहर के बाहेर 2