Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 26 ) है, जो यहाँ से दक्षिण 1 // कोश के फासले पर आये हुए 'खोडल' गाँव के एक कणबी के कुए में से निकली है। इस पर लेख नहीं है, लेकिन चिह्नों से ज्ञात होता है कि यह विक्रमीय 13 वीं शताब्दी की प्रतिष्ठित है। सं० 1897 का बना हुआ एक उपाश्रय है जिसके एक ताक में एक हाथ बडी श्वेतवर्ण श्रीमहावीरप्रभु की भव्यमूर्ति स्थापित है, जो पासवाले पहाड़ के एक टुब्बे से निकली और 12 वीं सीकी प्रतिष्ठित है / इस गाँव का प्राचीन नाम 'दांतापाटक ' है, जो विगड़कर ' दांतावाडा' हो गया है / 12 भूतेडी__यहाँ ओशवालों के 5 और पोरवाड़ों के 10 घर हैं, जो साधुओं के उपदेशाऽभाव से श्रद्धाविहीन और अन्य देवों के उपासक हो गये हैं। गाँव में एक छोटा दो मंजिला उपाश्रय है, उसके एक कमरे में एक जिनप्रतिमा स्थापित है, जिसकी पूजा भी बराबर नहीं होती / इस प्रान्त में योग्य उपदेशक और क्रियापात्र साधु साध्वियों के विहार की पूरी आवश्यकता है। 13 पालणपुर- बनासकांठा के पूर्वभाग में यह पालनपुर संस्थान की राज्यधानी का मुख्य शहर है / इसके चारों तरफ मजबूत कोट बना हुआ है और शहर से बाहर निकलने के लिये