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अनुक्रमणिका
अध्याय १ : मोक्षमाग
१-७७
सुख के विभिन्न प्रकार १, मोक्ष के साधन-रत्नत्रय ४, रत्नत्रय की प्राप्तिक्रम ५, सम्यग्दर्शन-सम्यग्ज्ञान का स्वरूप ६, सम्यक्चारित्र का स्वरूप ८,सम्यग्दृष्टि की वृत्ति प्रवृत्ति १०, सम्यक्त्व के लक्षण और भेद ११, पाँच लब्धियाँ १४, निसर्गज और अधिगमज सम्यक्त्व की उपलब्धि की प्रक्रिया १५ सम्यक्त्व के अन्य भेद १७, सम्यग्दर्शन की विशुद्धि २०, अष्ट अंग २१, सम्यक्त्व के बाह्य लक्षण २६, दर्शन विशुद्ध का चार्ट २७,२९, नव तत्व ३०, तत्वज्ञान के साधन निक्षेप ३२,प्रमाण-नय ३४, निर्देश आदि ३५, अनुयोग द्वार ३७, जीवादि की अन्वेषणा के साधन-मार्गणास्थान ३९, गुणस्थान जीव की शुद्धता के सोपान ४०, गुणस्थान सम्बन्धी विशेष बातें ४३, सम्यग्ज्ञान के प्रकार ४४, ज्ञानों की प्रामाणिकता ४५, मतिज्ञान के अन्य नाम ४७, उत्पत्ति के कारण ४८, भेद ४९, उपभेद ५०, विषय एवं भेद ५२, श्रुतज्ञान के लक्षण और भेद ५५, अवधिज्ञान के भेद और स्वामी ५७, मन:पर्यायज्ञान के भेद ५९, अवधिज्ञान
और मन:- पर्यायज्ञान में भेद ६०, मति-श्रुतज्ञान के विषय ६२, अवधिमन:- पर्याय केवलज्ञान के विषय ६३, एक साथ कितने ज्ञान सम्भव ६४, विपरीत ज्ञान और विपरीतता के हेतु, ६५, ज्ञान के चार्ट ६६-६७, नयों के नाम और प्रकार ६८, नयों का प्रमाणत्व ७३, सप्तभंगी ७५, ।
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