Book Title: Tajiksara Sangraha
Author(s): Vrundavan Maneklal Joshi
Publisher: Vrundavan Maneklal Joshi

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Page 16
________________ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवायनमः ।। ॥ ॐ श्री १०८ वाग्देवीशरणम् ।। श्रीमन्महोदयेभ्यो ज्योतिर्विद्विभूषण भट्टेत्यवटङ्क माणेकलालतनुजन्म वृन्दावनशर्मभ्यः सम्मतिपत्राऽर्पणमिदम् सन्मित्रप्रवराः श्रीज्योतिर्विवृन्दावनशाणः श्रीमद्भिः प्रेषितोऽयं ताजिकसारसंग्रहाभिधो' ग्रन्थोऽवलोकितोऽस्माभिः।। ग्रन्थेऽस्मिन् देवैर्मथ्यमान महोदधेरमृतमिवालोड्यमान ताजिकशास्त्राणवागणिताध्यायभावाध्यायफलाध्यायप्रयुक्तं ताजिकसारसंग्रहग्रन्थरत्नं निष्पादितं श्रीमद्भिः॥ यस्य द्वितीयावृत्तिरपिनिर्गता तेन ग्रन्थस्य महामूल्यता सूचयति ॥ अवलोक्येमं महान्तं सन्तोषमामोत्यस्माकंमनः ॥ वर्षपत्रिकाकरणे फलादेशकथने च ह्युत्कृष्टतमोऽयं ग्रन्थइ त्यस्माकं सम्मतिः । अतो ज्योतिःशास्त्राध्येतृणां सुकुमारमतीनां पटूनां वालकानां महदुपकारकरो ज्योतिर्विदांविदुषामपि झटिति साहाय्यकरश्च ।। अत छात्रगणैरध्ययनेन, विद्वद्भिरनुमतिप्रदानेन, धनिकैभरिद्रविण वितरणेन, प्रोत्साहनीयाः खलु भट्टेत्यवटङ्क ज्योतिर्विद्विभूषण वृन्दावनमाणेकलालशर्माणइत्यलं पल्लवितेन. संवत् १९८८ विदुषां विधेयः माघ शुक्ल ५ गुरुवासरे । शास्त्री गौरीशङ्कर दुर्लभराम पण्डितः ता. ११-२-१९३२ व्याकरणतीर्थः पुराणरत्नश्च प्रधानाध्यापकोऽध्यक्षश्च अमदावाद. श्रीभचेचाश्रितसंस्कृतपाठशालायाः Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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