________________ भाषाटीकासहित. की टेक॥२८॥ पतिव्रता कोटिनभई, गिनै सबन अस कौन। जिन चरित्र सुनि धरतहै, सबी कवीश्वर मौन // 29 // पहले बाला जो भई, सब विद्याकी खानि / हाय अज अक्षर पढत, अबला करत गलानि // 30 // | एक दिवस भारत हुतो, सुख सम्पति भरपूर। भई नारि विद्या रहित, कीनो चकनाचूर 31 द्रौपदी / श्रीमद्भागवतके पहले स्कन्ध अध्यायसातवे में द्रौपदीजीकी विद्या और बुद्धिको देखो कि जिस समय द्रौपदोके पांचौ पुत्रों का शिर काटकर अश्वत्थामाजी अपने प्राण.बचानेको भागे. तब अर्जुनने द्रौपदीको समुझाय बुझाय अश्वत्थामाका पीछा किया और बांधकर द्रौपदीके सन्मुख लाय खडा किया, तब मू-तथाहृतं पशुवत्पाशबद्धमवाङ्मुख ..P.R.AC. Gunratnasuri M.S. Jun-Gun Aaradhak Trust