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स्लम काल
के राज्य क
के समय
(ख) ऐतिहासिक तथ्य है कि पराधीन देश का आचरण अत्यन्त गिर जाया करता है। भारतवासियों के आचरण इतने मुस्लिम काल मे नहीं गिरे थे, जितने अंग्रेजों के राज्य काल में गिर गए। मुसलमानों के समय भारतवासियों को अधिक से अधिक धार्मिक दासता ही सहन करनी पड़ी, किन्तु अग्रजी शासन से उनको राजनीतिक दासता के साथ साथ आर्थिक दासता का 'शिकार भी बनना पड़ा । इसी से उसका आचरण गिरना 'आरम्भ हुआ । इस बात को सभी समाचारपत्र पढ़ने वाले पाठक जानते हैं कि उसी सिद्धान्त के कारण प्रथम महायुद्ध के बाद जर्मनों के तथा द्वितीय महायुद्ध के बाद जापानियों के आचरण 'अत्यधिक गिर गए थे।
धार्मि
भारतवासियों के गिरे हुए आचरण का पता वास्तव में संसार को तब लगा जब उनके ऊपर से अंग्रेजों की छत्रछाया हट गई। अंग्रेजों के शासन काल में औसत भारतवासी कानून से भयभीत होने के कारण दुराचरण करता हुआ डरता था, किन्तु उनके चले जाने पर सबका भय निकल गया और अब वह वर्तमान शासन की चिन्ता न करते हुए अपनी दोनों जेबें भरने के लिये खुल कर खेल रहे हैं । इसको राजनीतिक शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है कि
"आज औसत भारतवासी में नागरिकता की आवना का अभाव है।" . .
किन्तु इसी को धार्मिकता का अभाव भी कहा जा सकता है। वास्तव में धार्मिकता तथा नागरिता में कोई विशेष अद नहीं है। अच्छा नागरिक सदा ही धासिक होगा और एक धार्मिक व्यक्ति सदा ही एक अच्छा नागरिक होगा। ..