________________ | भाग्य सुन्दरी ( कन्याकी माता ) के दिलमें भी यह कार्य बहुत अच्छा रुचा. दूसरे दिन राजाने मदनसुन्दरीको बुलाकर पूछाः-हे कन्ये! मेरी सेवाके लिये बहुतेरे है। | राजकुमार आये हुवे हैं उनमेंसे जिस पर तेरी रुचि हो जसही के साथ विवाह कर दूं, बोल ! है तेरे लिये कौन वर कर दिया जाय? राजकन्या अपने पिताकी बे समज़ पर हृदयमें स्मित हास कर एकदम मौन रही, जब राजा वारंवार आग्रहपूर्वक पूछने लगा तब लाचार हो कर मदना बोली: हे पिताश्री ! कुलवती कन्या अपने मुखसे क्या यह कह सकती है ? कि मुझे अमुक वर करदो. हे जनक! यह तो कुलटा कन्याकी रीति है कि अपनी इच्छानुसार पति करे; कारण कि विवाह समय मात पितादि तो मात्र निमित्त कारण हैं, जैसा कर्म संस्कार होता है वैसा ही | बनता है अन्यथा नहीं, आपका किया हुवा कुछ नहीं हो सकता भावि भाव सदा बलवान् AAP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradh