Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

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Page 179
________________ AM लगे; रथयात्रा-तीर्थयात्रा-संघपूजा-शासन प्रजापना आदिसे दर्शनपद आराधने लगे, सिद्धाMEन्त-पठन-पाठन-लेखनादि ज्ञानोपगरणसे ज्ञानपदकी भजना करने लगे, व्रत-नियम-यतिधर्म है E अनुमोदनादिसे चारित्रपद ज्याने लगे, असनादि बास तथा प्रायश्चितादि आभ्यन्तर कर्तव्योंसे | तपपद सेवने लगे; इस तरह श्रीसिकपक्र महाराजका तप करते हुवे श्रीपाल नरेन्द्रने पांचवें || वर्ष अपनी विपुल राज्य लक्ष्मीसे विस्तारपूर्वक महाशक्ति-महाभक्तिसे उजमना प्रारंभ किया; ||2|| उसका संक्षेप आख्यान यहांपर लिख दिखाते हैं: एक सुमनोहर विशाल प्रदेशमें या विशाल जिनजुषनमें तीन वेदिकाओं सहित श्वेत चित्रयुक्त एक जबरदस्त पीठिका बनाई उसपर मन्त्रसे पवित्र किये हुवे पंच वर्णके अन्न ( चावल| गेहूँ-चणा-मूंग-उड़द )से नौ दल वाले कमलरूप सुन्दर सिद्धचक्र मंडलकी रचना की, हरएक पदमें घृत साकर मिश्रित श्रीफलके गोले रख्खे गये-बीचोबीच स्थापन किये हुवे प्रथम अरि- 2 PROGटककछ Dil Ac, Gunratnasuri M.S. Jun-Gun Aaradhar

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