Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

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Page 178
________________ Recenesesesesececenesceneseseseseseseceae%% नद्यापन महोत्सव. . (नवपद-भक्ति) RANISAAR किसी एकदिन महापट्टरानी मयणासुन्दरीने अपने प्राणपति महाराजाधिराजको प्रार्थना की। PI कि हे स्वामिन् ! पहिले तो अपनोंने संक्षेपसे उद्यापन किया था, अब पुनः नौपद तप.करके | || विस्तारपूर्वक भक्तिसहं उद्यापनं करें-महाराजने इस निवेदनको सहर्ष स्वीकारकर नौ नवीन जिनमंदिर बनाये, नौ जिन' नुवनोंका जिर्णोद्वार कराया और नाना विध पूजादिसे प्रथम अरि-150 || हन्त पदकी आराधना करने लगे, जिनबिंब भराकर सिझपद ध्याने लगे, बहुमान पुरस्सर वं-18 || दन-विनय-वैयावच्चसे आचार्यपद साधने लगे, स्थान-अन्न-वस्त्रादि तथा पठन-पाठनमें सायता करते हुवे उपाध्याय पद सजने लगे, सन्मुख गमन-वंदन-असन-पान-वस्त्रादिसे साधुपद सेवने है। ASASALARIALAJA CALICHES Jun Gun Aaradhak

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