________________ नावार्थ:-जिनेन्द्र परमात्माके फरमाये हुवे तत्वों पर रुचि करानेका लक्षण है जिसका ऐसे निर्मल सम्यग् दर्शन ( समकीत-श्रद्धा ) को वंदन होवो-अज्ञान रूपी व्यामोहसे मतित्रम रूप P अंधकार छा गया है जिसको उसको नाश करनेमें सूर्य समान ऐसे सम्मग् ज्ञानको पुनः पुनः नमस्कार होवो. (गाढा) 51 आरहिआ खंडिय सक्कियस्स / नमो नमो संयम वीरियस्स // कम्मदुसुम्मूलण कुंजरस्स / नमो नमो तिव्य तंवोभरस्स // 5 // // भावर्थः-पराक्रम पूर्वक नाना विध क्रियाओंसे आराधन किया है जिसको ऐसे साध्वाचार | रूप चारित्र पदको अभिवन्दन होवो-कुंजर हाथीकी तरह कर्म रूपी वृक्षको जड़मूलसे उखेड़ || दिया है जिसने ऐसे उग्र तप पदको वारंवार नमस्कार होवो. (गाथा) . . इय नव पयसिद्ध-लद्धि विज्झा समिद्धं / पयडिय सर वग्ग-ही तिरेहास म्मगं / / REISEBAGAIGSASA ARMAS Jun Gun Aaradhak XIAC.Gunratnasuri M.S.