Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

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Page 183
________________ 15|| अड़तालीस लब्धि पद, अरिहन्त पादुका, दिग् पाल, यक्ष, यक्षणी, देव-पुष्पोंसे अलंकृत है, वह | सिझचक्र महाकल्पवृक्ष हमारे मनोवांच्छितको प्रदान करो; इत्यादि नमस्कार करके शकस्तवादि // बोले; तदनन्तर पुनः प्रत्येक पदकी पृथक् 2 इस प्रकार स्तवना करने लगेः (गाथा) उपन्न सन्माण महो मयाणं / सप्पड़िहासण संठियाणं / सइसणा गंदिय सजणाणं / नमोनमो होउ सया जिणाणं // 1 // जावार्थः-उत्पन्न हुवा है केवलज्ञानका महा तेज जिसको ऐसे छत्र-चामरदि प्रातिहार्य || P करके अलंकृत, सुवर्ण सिंहासन पर विराजमान, अपनी जव ताप हरणी सदेशनासे आनन्दित किये हैं सजनोंको जिसने ऐसे जगदुपकारी अरिहन्त प्रजुको अनेकशः निरन्तर नमस्कार होवो. . . . (गाथा) सिद्धाण माणंद रमा लयाणं / नमो नमो गंत चउकयांणं // शरीष दूरी कय कुग्गहाणं / नमो नमो सूर समप्यहाणं // 2 // 4 %A8 G AC GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradha i

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