________________ CSC056746464-Ck 646 हैउन्होने कहा तुमारे जवाईके हाथसे ताम्बूल दान, राजाने स्वीकारा और कुमारको कहा तुम में सहर्ष इनका सत्कार करो, उनने उनको सादर ताम्बूल दान दिया; इस वख्त पूर्व कर्मके निबिड़ उदयसे एक बुढ़ी शाकिनीके समान कुमारके कण्ठमे चिपटकर कहने लगी-हे पुत्र-हे ||2|| P पुत्र! तूं कहां चला गया था ? बहुत कालसे मुझे मिला; मैं कश्यक ठिकाने भमी, पहिले तो | सिंहलद्वीपकी खबर मिली थी, बाद नौकापर चड़कर क्रमशः यहां पर आई, देख! यह लम्बे || बूंघटवाल। तेरी बहु खडी है, इसका तुझे क्या को दुःख है ? तूं तो अच्छे नसीब के उदयसे / 4. राज-कुंवरी परण गया मगर बीचारी इस गरीबड़ी की क्या दशा होगी! इतने में दूसरी कहने लगी भाई। भाई। करके कणठमें लग गई. एक कहने लगी मैं तेरी सास हूँ. दसरी जेठ जेठ पूंकारने लगी, कोइ एक हे जाणेज-भाणेज, दूसरी देवर-देवर बोलने लगी, एक वृक्षा कहने लगी आज मेरा जन्म सफल हुवा कि मेरा पौत्र (पोत्रा ) मिल गया, एक बुढा बोला है || मैं तेरा पिता हूं, दूसरेने कहा मैं सुसरा हूं, तीसरे बोले हम तीनों तेरे भाई हैं, एकने कहा 4-4-04CACAAAA-SEX Suntainasuri M.S. Jun Gun Aaradhal