________________ || मेरा शत्रु है, बालपनेमें जी मैने उसे जीता छोड़ दिया है और इस पख्त उसने सोते सिंहको ||8 8 जगाया है, मेरे अजित बलसे तेरा स्वामी जस्मीभूत हो जायगा तोही मेरेको सञ्चा अजितसेन 8 समझना, इस प्रकारके तीक्षण शब्द सुन दूतने रोकड़ा परखाया-हे राजन् ! तूं तो आगिये | सरखा और वे सूर्य समान, तेरे और उनके तेज प्रतापमें जमीन आसमानकासा फेर है, प्रजा| का व्यर्थ संहार करनेसे क्या? मुझे मालुम होता है कि तेरा काल तेरे शिरपर छागया है-इन || कड़क शब्दोंको सुनकर अजिससेनने दूतको तिरस्कारकर निकाल दिया और कहा जा-तेरे स्वामीको तैयारकर शीघ्र भेज, अजितसेन भी सामने आकर युद्ध करेगा; ये अन्तिम शब्द सुन दूत वापिस आया और सब हकीकत महाराजको कही.. ... / अब श्रीपाल भूपाल मोटी सेनाके साथ अविछिन्न प्रयाणकर चंपानगरीकी सीमापर आन मा पहुँचे, अजितसेन भी अपनी प्रबल सेना लेकर सामने आया, सबसे प्रथम रण-क्षेत्र शोधा PAR AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradh