Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

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Page 163
________________ 549-6CALCCA ___अब महाराजा श्रीपाल नरेश शुभ मुहूर्तमें महामहोत्सवसे चंपानगरी में प्रवेश हुवे, इस * वख्त सधवा स्त्रिये मंगल गीत गाने लगी, नह लोग विरुदावली बोलने लगे, बंदीजन जय 2 है। || शब्द उच्चारने लगे, इस प्रकार अनेक राजा, प्रधान, सेठ, सेनापति और अखिल प्रजाके समक्ष || महा मान-सन्मानके साथ महाराज श्रीपाल अपने पिताके राज-सिंहासनपर विराजित हुवे, | इस समय सकल राजा और प्रजाजनोंने मिलकर राज्याभिषेक किया और नाना प्रकारके नेटनाओं नेटकर सुखपूर्वक उनकी सेवा करने लगे-महाराजने अमुक 2 को इस प्रकार पदाधिकारी कियेः-मयणासुन्दरीको महापट्टरानीके पद पर नियुक्त की, शेष आठको लघु पट्टरानियें बनाई, ||SHI Pमतिसागर और धवलके तीन सच्चे मित्रोंको महा आमात्यकी पदवी दी, धवलके पुत्र विमलको नगर सेठकी उपाधि दी; इस तरह किसीको आमात्य, किसीको सेनापति वगेरा यथा योग्य पद M पर कायम किये, अब महाराज श्रीपाल लीला लहर करते हुवे आनन्दपूर्वक रहते हैं-महारा15 जाने नव सुवर्णमय (सुनेरी कामवाले ) जिन-मन्दिर बनवाये उनमें रत्नमय नव जिन-प्रतिमा र GILAGunratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradh

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