Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

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Page 164
________________ A4 A परिष श्रीपाल- * स्थापन की; इस तरह वह नरेश्वर परिवार सहित नवपद महाराजकी पूजा और ध्यान करते हैं सर्वत्र जिन जुवन, गुरु वंदन और नवपदजीकी महा महिमा की, अपने राज्यमें सब जगह // 79 // सप्तव्यसन निषेध करवाया, अमारी घोषणा कराई, दान-शील-तप-जावनादि धर्म कृत्य तलालीनपने करते हैं; इन महापुरुषके राज्यमें धन-धान्य-पुत्र-पौत्रादिकी अनिवर्धित वृद्धि होने लगी; महाराज श्रीपाल ईन्द्र तुल्य लीला करते हुवे सुखपूर्वक निवास करते हैं. SROSAGACASEA4 - अजितसेन राजर्षिको अवधिज्ञान. 1 . . (धर्म-देशना) अब राजर्षि अजितसेन महाराजको अवधिज्ञान उत्पन्न हुवा है, ऋषिराज इस भूमंडल पर X P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradh

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