________________ पंच अणुव्रत-१ प्राणी वध 2 मृषावाद 3 अदत्तादान 4 मैथुन 5 परिग्रहइन पांचोका स्थूलरूपसे त्याग करना. तीन गुणवत-६ दिशा परिमाण 7 जोगोपजोगका मान 8 अनर्थ दण्डका त्याग. चार शीक्षाव्रत-९ सामायिक 10 देशावगासिक 11 षौषधोपवास 12 अतिथि संविनाग| ये बारह व्रत नाम मात्र यहाँपर दिखाये गये हैं, इनकी व्याख्या ग्रन्थान्तरसे जानना. सकल धर्मों में नवपद सार धर्म है-जिनेन्द्र देवोंने धर्मकी प्ररूपणा की है अतः अरिहन्त / // प्रजु तत्वभूत हैं-धर्मके फलभूत सिह नगवान तत्व हैं-धर्मके आचारको दिखलाने वाले आचार्य महाराज तत्व हैं-धर्मको शीखानेवाले उपाध्याय महाराज तत्व हैं-धर्मको समग्रतः साधन | करनेवाले साधु महाराज भी तत्व हैं-धर्मपर श्रद्धा करानेवाला दर्शनपद तत्व है-धर्मका बोध करानेवाला ज्ञान पद तत्व है-धर्मकी आराधना करानेवाला चारित्र पद तत्व है-कर्मकी निर्जरा T AcGunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradha