Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Anandsagar
Publisher: Ganeshmal Dadha

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Page 160
________________ वाब चरित्र. इस प्रकार होने लगा कि कानपड़े शब्द सुनाइ नहीं देते, महाराज श्रीपालके वीरोंने अजितसेनके सिपाहियोंको इटाये, तब अजितसेन अपनी सेनाको वायुवेगसे रुश्की तरह उड़ती हुए हैं। ( विव्हल होती हुई ) देख स्वयं सेना लेकर आया और मल युद्धकरके श्रीपालजीकी सेनाके | छक्के छुड़ाये, इस वख्त अनेक राजा मरण शरण हुवे, तब सातसो राणाओंने अपनी फौजकी है। सोचनीय दशा देखकर प्रबल बल द्वारा गर्जना करते हुवे अजितसेन पर टूट पड़े, परस्पर महा युद्ध हुवा तब अजितसेनकी सेना चारों दिशाओंमें तितर-बितर हो गई, इस वख्त सिंहनाद | 5|| करके राणाओंने अजितसेनको घेर लिया और निवेदन करने लगे-अहो महाराज! अब भी कुछ ||5|| नहीं बिगडा है, हमारे साथ चलकर श्रीपाल महाराजाका शरण लो, तब कोपाक्रान्त होकर अजित-18|| | सेन महायुद्ध करने लगा, अखीर उन राणाओंने अपने अजित बलसें अजितसेनको हाथी परसे पटक बंधनोंसे जकड़कर श्रीपाल महाराजके आगे रख्खा, महाराज श्रीपालने इस अवस्थासे अपने हैं। | काकेको मुक्त कराया और निवेदन करने लगे-हे तात! आप अपने दिल में खेद मत करो! Jun Sun Aaradhak 99 Il DIAC.Gunratnasuri M.S..

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