________________ SHRESEARSHA श्रीपालजीका विरहदुःख प्राप्त हुवे आज़ कुछ कम. एक मास हो गया है; धवलसेठने पृथ्वीतलपर अपना पड़ाव डाला, बाद नेटना लेकर राजाके पास गया वहांपर श्रीपाल कुमारको देखे, बस है। धवल एकदम कजलसे भी अधिक श्याम मुख हो गया, क्या यह वही है या अन्य ! सेठ वि. | चारने लगा, कुंवरने भी सेठको बखूबी पहिचान लिया; सेठने कुछ टाइम तक राजाकी सत्कार है। व प्रवृति कर जाते समय कुंवरके हाथसे पान बीड़ा लेकर चिन्तातुर होता हुवा बाहर आकर पहरे दारको पूछा-भो! ताम्बूल देनेवाला राजाके पास कौन है ? चोकीदारने कुमारकी सब हकीकत है। कही, सुनतेही वज्रहतवत् हो गया मानो सात पेढी आजही मर गई हो, सेठ हृदयमें विचाग्ने लगा हाय! मैं जो काम करता हूँ, वह सब निष्फल जाता है; परन्तु अस्तु, अब भी इसको मारनेका कोइ उपाय करना चाहिये, हा! यहांपर भी यहतो राजाका जवांइ होकर मोटे दरजे / पर पहुँच गया; इत्यादि चिन्ता करता हुवा अपने मुकामपर पहुँचा. . G P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradh