________________ IP श्रीपाल-8 मालुम होता है, तब मदना बोली जिन-दर्शन को दिन निष्फल नहीं जाता, यह बात यथार्थ है, चरित्र, | अब मयणा सुन्दरीने शीघ्र किंवाड़ खोले, श्रीपालजीने अपनी माताको नमन किया और प्रियासे // 71 // ती मुलाकात की बाद जननीको अपने खंधे पर बैठाकर और मदनाको हाथ में लेकर अपने उतारे पर आन पहुँचे, इस वख्त मातेश्वरी कमलप्रभाको भद्रासनपर विराजमान की और नाना प्रकार के आनूषण, वस्त्र, रत्न, मणि, माणेक, मोती आदि अगण्य द्रव्य सामने रखकर कुंवर | बोले-हे जननि ! ये तमाम विनूति और सकल सेना आपके पसायसे प्राप्त हुई है, इस स्थिति को देख पांच सखियों सहित आठ रानियोंने सासुके चरणोंमें अभिवंदन किया, बाद मदन|| सुंदरीको नमन किया, इस लीला-लहरको देखकर माताको दर्षकी सीमा न रही, विद्याधरकी 5 6 पुत्रीने उज्जयनीसे रवाना हुवे तबसे लेकर वापिस आये तहांतककी श्रीपालजीकी समस्त जी-15 वनी कह सुनाई-माताजीने सब रानियोंको एक 2 नाटक और नाना प्रकारके आभूषण अपने हाथसे दिये, बस अब सब लोग शान्तिके शरण हुवे; पश्चात् श्रीपाल नरेशने अपनी प्राणपत्नि CIENCE SCAR-A-SA-%ECASE // 71 // ADGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak