________________ चरित्र चाया. / भोपाल-15// कर सुर सुन्दरी उसे प्रदान की, इन दोनोकी धर्म पर अटूट श्रद्धा होनेसे इस वख्त सम्यक्त्व 18// उपार्जन किया, इस शुभ प्रसंगसे श्रीसिद्धचक्र महाराजकी महति महिमा चारों ओर प्रसिद्ध हुई-अब महाराज श्रीपालने अपने निज़ मन्त्री मतिसागरको बुलाकर पूर्ववत् 'आमात्य-पदवी' वक्षी और अपनी दुःखावस्थाके साथी सातसो जनेको 'राणा-पदवी' ( मनुष्यके अमुक जथ्थेके नायक ) देकर अपने पासमें रख्वे, बाद सुसरेको, सालाओंको इसही तरह अन्य राजओंको तथा सुनटोंको बहुमान दिया; वे जी सर्वलोग महा प्रतापी श्रीपाल भूपाल के चरण-कमलोंकी / सेवा करने लगे. 174 // PEHACKERAKASI // 74 T .AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhall