________________ इस वख्त राजाने निमित्तियेको बुलाकर पूछा-क्योंरे! तू हमारे जमाई को मात्तंगपति | कैसे कहता था? प्रतिवचन मिला कि-मात्तंग माने हाथी तो हाथियोंका स्वामी राजाधिराज' है। | समझना चाहिये नृपति प्रसन्न हो प्रीति दान देकर निमित्तियेको शीखदी, फिर राजा अपनी है। | पुत्रीके बुद्धिबलपर बड़ा भारी आनन्दित हुवा, नरपतिने श्रीपालसे अपने कृतअपराधकी सा-है। दर क्षमा मांगी, चारो ओर शान्तिका साम्राज्य फैल गया, कुमार अपनी तीनो रमणियों के साथ है। आनन्दपूर्वक समय बिताने लगे.. __ श्रीपाल कुमारतो भद्रिक परिणामोंसे उसही प्रकार धवलके साथ प्रेम रखने लगे, निर्लज्ज ||6|| || धवल सदा वहींपर रहने लगा, एक दिन रात्रीमें कुमारको मारनेका दृढ विचारकर सावधान तासे वहीं पर सो गया, उस दिन कुमार सातवें मंज़लपर एकाकी सोये हुवे थे, तब धवलने है। | बराबर अवसर पहिचानकर रात्रिमें महलके पिछले भागमें जाकर चंदनगोके पेर पर रेशमकी IAC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak