________________ CING चौथा // 9 // RA%AAAAAAAEGASIS 5 पट्टरानी है उसके एक तिलकसुंदरी नामकी पुत्री है, उसको सहसा एक दुष्ट सर्पने डसा है जिससे वह प्रस्ताव | मृत्युगत होगई है, उसकी दहन क्रियाके लिये राजा वगेरा सब श्मसान नूमिमें गये हैं और मैं आपकी |5|| || सेवाके लिये यहांपर आया हूँ; यह सुन परम दयालु-परभोपकारी श्रीपाल नरेश शीघ्र अश्व-रत्नपर ||3|| + सवार होकर श्मसानमें पहुँचे, वहापर राजादि तमाम लोग मिले, तब श्रीपालजीने कहा-अहो! कन्याको तुरन्त दिखाओ! राजाने उत्तर दिया-महाराज ! मृतक-कन्याको क्या देखना है, जबाव | मिला, भाई! सर्पके ज़हरसे इतनी मूर्छा व्याप जाती है कि प्राणी मृतक सदृश मालुम होता है, | परन्तु प्रायः मरता नहीं है, तब राजा वगेराने शीघ्र उस कन्याके बंधन छोड़े और महाराजको दिखलाई, करुणासागर श्रीपालजीने वह सुर-माल इसके कण्ठस्थलमें निवेश की और नवपद महामन्त्रसे मन्त्रित निर्मल जल उस पर छींटा कि तत्काल ही वह सजित होकर उठ खड़ी || हुई, और अपने पिताजीको पूछने लगी-हे तात! ये सब लोग यहांपर क्यों इकट्ठे हुवे हैं? // 69 // राजाने सर्व हकीकत कही और अन्तमें कहा कि इन परम कृपालु महाराजके पसायसे तेरा LAC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradha