________________ प्रस्ताव श्रीपालन चरित्र, // 55 // HECHISMUSEOSS धरकी पुत्रीने आयन्त कह सुनाया और अन्तमें यह भी कहा कि यह हमारे प्राणपति हैं; सुन तीसरा. * कर राजा अत्यन्त हर्षित हुवा और कहने लगा कि अहा! यह तो मेरी बेनका लड़का अर्थात् मेरा भानजा ही है; अब पृथ्वीपति गायकोपर क्रुजित होकर हुक्म किया कि इन सबको एक साथ है। मारडालो, तब मरणभयसे डुम लोग सत्य बोल पड़े कि हे कृपालो-महाराज! जहाजोंमें रहे || हुवे धवल सेठने कोटी मूल्यकी मुद्रिका देकर हमसे यह काम कराया हैं, सुभट लोगोंने डुमों से की खूब पूजा की, सब वे दुःखसे विलापात करने लगे और कहने लगे कि हमें छोड़दो कुमारके साथ हमारा कोई सम्बंध नहीं, इधर राजाने धवलको बंधनसे जकड़वाकर मंगवाया और आज्ञा | फरमाई कि-ए कोतवाल! डुमके कुटुम्ब सहित धवलको यमराज के हाथों में देदो-इस वख्त / करुणा परायण श्रीपाल कमारने राजासे नम्र निवेदन कर सबको जीवितदान दिलाया; धन्य हैकुमार! तुम्हारा सत्यस्वरूपी उपकार अति प्रशंसनीय है. .. REPLICEAGEREGSHOSHASI-MAX cSunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak