________________ निपुणा बोली:-" यावद्विधात्रा लिखितं ललाटे " जितना विधाताने ( भाग्यने ) लला. IPटमें लिख दिया है, उतना हि होता है-पुत्तलिकाने जबाव दिया: (श्लोक) हे चित्त खेदं परिमुंच नित्यं / चिन्तासमूहे न कुरुष्व जीवम् / / फलं भवेदत्र परत्र तावद् / यावद्विधात्रा लिखित ललाटे // 4 // भावार्थ:-हे चित्त तूं खेदको हमेशा त्यागकर; चिन्तासमूहमें अपना जीवन मत कर - यानी मत गाल, जितना विधाताने ललाटमें लिख दिया है-उतना ही इस भव और पर भवमें | फल मिलेंगा. दक्षा बोली-" तस्यैव दासाश्च त्रिलोकलोकाः " त्रिलोक जन उसहीके दास होते हैं | एसा कौन है ? पुत्तलिकाने प्रत्युत्तर दिया:-: RIA.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhaki