________________ प्रजु कृपासे सब अच्छा होगा; तब पाठकने छात्रोंको कहा-अपनी 2 कला दिखलाओ! सब कुंव रोंने कला दिखलाई मगर कन्याने एक भी पसन्द न की, अखीर कुमारिकाने वीणा बजाई, P| सुनकर सब लोग हर्षित हुवे और कन्याकी कलाको वखाणी, इस समय वामन रोषातुर होकर बोला-अहो! कुंडलपुरके निवासी सब लोग मूर्ख हैं, व्यर्थ कन्याकी स्तुति करते हैं, तब राज पुत्रिने बावनियेको पूछा-अहो! तुमने राग रागणीका अभ्यास किया है क्या ? उत्तर मिला सब | कुछ किया है ! सुनकर कन्याने अपनी वीणा बावनेको बजाने दी, उसने वीणा लेतेही कहा॥ अहा! इसकी तांत अशुद्ध है, तुम्बड़ी गली हुई है, दण्ड भी युक्त नहीं है, ग्राम-मूर्च्छना-नाद | (ये गायनके लक्षण विभाग हैं ) करके यह वीणा अयोग्य है; यह हकीकत सुनकर राज-क| न्याने जाना कि मेरे भाग्यका वीणामें निपुण प्रधान-पुरुष आगया है, अब वीणाको ठीक-ठाक || करके वामनने बजाई, इस के मस्त-गायनको सुनकर तमाम लोग मूर्च्छित हो इधर उधर | भूमिपर लौटने लगे अखीर निद्रावश हो गये; इस वख्त कितनेककी अंगुठियें, कितनेक के PERISHISHIGURASNAIGUAG MESSAGAR cell Ac Gunratnasur M.S Jun Gun Aaradhali