________________ न्द्र प्रतिमाकी भक्तिपूर्वक सेवा-पूजा करके सबने शान्तिसे पारणा किया, देववाणी के शुभ में | समाचार सारे नगरमें 'जल तैल बिन्दुवत् ' फैल गये, अगण्य लोग हर्षित होते हुवे जिन| मन्दिरमें किंवाड़ खोलनेका प्रयास करते हैं और परस्पर इस तरह वदते हैं कि जो सक्ष कपाट खोलेगा उसने मानो अपना जाग्यही खोल दिया, वहांपर इस वख्त एक मोटा मेला ( सम्मे| लन) सा मच रहा है, हे सत्पुरुष! इस मामले को कुछेक कम एक महिना हो गया है मगर किंवाड़ अबतक ज्यों के त्यों बंद पड़े हैं। इस प्रकार अनुपम आश्चर्य जो मैने देखा है वह आपके | सामने निवेदन किया, अन्तमें जाते समय वह कहता गया कि आप छीपान्तरसे आये हुवे हैं / अतः यदि आप के हाथसे यह कार्य हो तो देवीकी वाणी सार्थक हो जाय. यह हकीकत सुन श्रीपाल कुमार अश्वरत्न पर आरूढ होकर धवल सेठके पास आये और कहने लगे-अहो सेठ! प्रभु दर्शनके लिये जिनमन्दिर चलो? उत्तर मिला कि मुझे मात्र अपने RESISERICHORACIS- P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradha SHES