________________ प्रस्ताव चरित्र. 45 // | राजाने कबूल किया और उसके बंदन दूर कराकर अपने पास बुलाया, तव कुमारने ' यह धवल है' ऐसा जान कर राजाके प्रति निवेदन किया-हे. राजन्! यह धवल सेठ मेरे पिताके | तीसरा. समान है, मैं इसही के साथ आया हूँ इस लिये आप इनकासन्मान कीजिये गा, तब राजाने 5 5 वस्त्र वगेरा प्रदान कर उसका सत्कार किया, इस वख्त कुमारने सेठको सम्बोधन कर कहा|| अहो! कर दानका लोभ न किया करो; सेठने चुपचाप सुनकर कुमारको कहा-अपनी जहाजोंमें ||6|| ह सब तैयारी कर स्वदेशमें जानेकी इच्छा है; अतः तुम शीघ्र आना, तब श्रीपालने राजासे शीख 31 * ली और उसके किये हुवे महोत्सवसे दोनो रमणीयों सहित जहाजोंमें प्राप्त हुवे, कनककेतु नृप. | तिने अपनी पुत्रीको हित-शिक्षा देकर कुमारको सोंपी और वह उदास भावसे अपने नगरीको वापिस चला गया. ROSKASOS ARROCARROCK // 45 // II AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak