________________ श्रीपाल चरित्र प्रस्ताव तीसरा. TERSISESEOSES // 47 // 6 यानी सोको दूध पिलाना मानो मात्र ज़हरको वड़ाना है; अरे! तूं महा कुटिल है, यतः (श्लोक) ___ कुटिलगतिः कुटिलमतिः / कुटिलात्मा कुटिलशीलसम्पन्नः // सर्व पश्यति कुटिलं / कुटिलः कुटिलेन भावेन // 1 // भावार्थः-कुटिल चालको धारण करनेवाला, कुटिल बुजिवाला, कुटिल आत्मा और कु. टिल खभाव युक्त ऐसा कुटिल पुरुष अपने कुटिल भावसे सब कुटिल ही कुटिल देखता है. | सेठ ! तूं काले सर्पके तुल्य है दूध पिलाने पर भी डंसता है, तूं बुरी तरह भोंकते हुवे M कुत्तेके समान है, तूं किंपाक फल ( ऊपरसे मनोहर और अन्दरसे ज़हर ) के सरीखा है, हे धवल! इस प्रकार पापाचार मत कर-तेरे करनेसे कुछ भी नहीं हो सकता, तेरा नाम धवल (सपेत ) है मगर हृदय तेरा काला है, तेरे दिलमें कृष्ण लेश्या (क्रूर परिणाम ) वस रही है, PAHESAGERASESSIRea . Ac. Gunratnasuri M.S. 46556 Jun Gun Aaradha