________________ CHIRA प्रस्ताव दसरा. श्रीपाल-||६|| रहूँ गा; ऐसा कह कर उस राजपुत्रको राज्यसिंहासन पर स्थापित किया, शान्तिपूर्वक दो वर्ष |||| द तक राज्य चलता रहा, पश्चात् पापोदयसे उसके काके अजितसेनने राज्य ले लेने के इरादेसे || सर्वत्र राज्यभेद करके सामन्तादि सबको अपने वशमें किये और राणी-श्रीपाल तथा मन्त्रीश्व| रको मारनेका प्रपंच रचने लगा. __मन्त्रीराजको किसी तरह यह भेद मालुम हो गया कि तुरन्त ही रानीके पास जाकर है सब हाल निवेदन किये और यह सूचित किया कि आप अपने पुत्रको लेकर कहीं परभी शीघ्र || || चली जाईये-रानीने पूछा मैं कहां जाउं? मन्त्रीने उत्तर दिया जहां बने तहां मगर अब यहां 5 पर रहना ठीक नहीं ‘जीवन्नरो भद्रशतानि पश्यति' यानी जीवित मनुष्य सेकड़ो कल्याणोंको देखता है, इस लिये जीवनकी रक्षा करना चाहिये, मैं भी सही वख्त चला जाता है. ऐसा 4 कह कर मन्त्रीराज चला गया. URTARRIGARRIA ATASHIALI 2 // FAC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradha