________________ अब नाविकोंने समस्त जहाजों वहासे इंकाली, अनुकूल पवनके प्रयोगसे वेगपूर्वक वे चलने | म लगी, इस वख्त श्रीपालजीके साथ धवल उच्चस्थान पर बैठकर रत्नाकरमें चित्र विचित्र कुतूहल देखने लगा, इसही प्रकार कुमार भी बड़े 2 मगरमच्छ, मच्छलियें, काछबे वगेरा जलचर जान| वरोंकी नाना गतियें अवलोकन करने लगे. वहां सर्व हकीकत देखने के लिये महाकपस्तम्भ पर PI काष्टपिंजरमें बैठा हुवा दिग्दर्शक पुरुष कहने लगा-अहो सुभटों! चौरों की जहाजें सामने || आरही है, अतः तुम लोग अपनी 2 जहाजोमें सावधान रहना-चन्द्रकिरणों और सूर्यकिरणों |5|| 5 करके जलमें अनेकविध आश्चर्य देखे जाते हैं, समुद्रके तीर पर जल तरङ्गे उछाला खा रही हैं, 5 | स्थान 2 पर वाड़वानल ( जलमें अग्नि ) जल रही है, सूर्यके उदय और अस्तमन समय तता. वस्था शान्ततामें प्रवेश होजाती है, इन सब आश्चर्यों को श्रीपालकुमार वगेरा अवलोकन करते हैं-इस समय काष्टपिंजरमें बैठा हुवा पुरुष बोला-अहो नाविक लोगों!अन्न जल, काष्टादि यदि ग्रहण करना हो तो बब्बरकुल आगया है, धवल सेठने भी तुरन्त हुकम दिया कि यहीं 3RASEIRRAHIRKARIAKOO Jun Gun Aaradh .AC. Gunratnasuri M.S.