________________ श्रीपाल चारच. 33 // 15 धवलकी और भूपतिकी सेनायुगल शस्त्रसज्जित हो कर कुमारके साथ संग्राम करने लगी, सु-|| प्रस्ताव 8 भटोंने बाणोंकी वर्षासे तथा खड्डु, भाले, बरछियें आदिसे श्रीपालका शरीर आच्छादित कर दी तीसरा. || दिया, इतना होने पर भी उस पुण्यशालीका शरीर श्रीसिद्धचक्र महाराजके प्रसादसे तथा | शस्त्रांनवारणी औषधी (जड़ी-बूटी) के प्रभावसे छेदित नहीं हुवा-जरा सुनो श्रीपालकुमारने | उन सुभटोंकी क्या दशाकी:-किसीके नाक काट लिये, किसीके कान, शिखाएं और किसीकी / P डाढी-मूंछ काटली तथा किसीका शिर मुंडन कर दिया और किसीके मुखसे रुधिर वहने लग trennt || दृश्य देख कर सारे नगर वासियोंको भारी आश्चर्य हुवा-इस समय धवलशेठ विचारने लगा क्या यह को विद्याधर है अथवा देव है वा दानव है या किन्नर है ? अस्तु, चाहे जो हो, अपन तो | व्यापारी हैं अपने काममें सावधान रहना ही अपनेको श्ष्ट है, इसके साथ लड़ाई करना ठीक नहीं, अपना कार्य इसहीको कहना श्रेष्ठ है; यह सोच कर सेठ श्रीपालजीके चरणों में गिर पड़ा DilAc. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak