________________ H श्रीपाल प्रस्ताव दूसरा. 181ಕೆ, ತy &a ata ava, gia fan #ಇತ # 47 3gg #ಳಿಗೆ ತಾ : - %E RIt wl qMI RHRat wrea, fe same da a fala a det है यदि रोगादि नष्ट हो जाय तो आश्चर्य ही क्या है-तुम दोनो शुज नावसे इस पवित्र पदका ατττατ πι πα πα ππτα πάη, πgά ετιττ εττι, σπά αισΙτι : HTra प्राप्त होता है. [ 4[q Heritera Ꮔe 6{H[qr f<q% r%lY= ada di Fler Ꮔte:-- शान्त, दान्त जितेन्द्रीय, जिननक्तियुक्त, गुरुजक्ति लयलीन, परमपद आसक्त, तपसंयम नि। युक्त, क्रोध-मान-माया-लोन विमुक्त, निश्चल चित्त, जितनिन्द्र, स्थिरासनादि-हे महाशय ! | засіб дотта а згіч% чат +6 яна неї ** Hжат, че щет еата твят яга कि जैसे तैसेको यह पावन आम्नाय हरगीज़ नहीं देनी चाहिये. RSAGARLSCRECNBARGA RPAC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradha