________________ श्रीपाल प्रस्ताव चरित्र. रूपसुन्दरीका समागम. // 22 // SAURAHAAG SSEUROTECERIES राजाने मदनसुन्दरीका इस प्रकार अयोग्य सम्बंध कर दिया इससे उसकी माता रूपसुन्दरी राजासे कलह कर अपने पीयर चली आई, बहुत दिनोतक शोकातुर रह कर धर्म-कर्म सब छोड़ बैठी, अखीर धर्म शास्त्रोंके वचन स्मरण कर शोकको त्याग किया और श्रीऋषभदेव स्वामीके मन्दिरमें दर्शन करने गई; उस वख्त वहांपर उम्बर, कमला और मयणा तीनों द्रव्य पूजा करके भाव पूजा-चैत्यवंदन कर रहे थे, अपनी सुता मदनाको एक स्वरूपवान पुरुषके साथ देख कर रूपसुन्दरी शंकित हृदयमें इस प्रकार विचार करने लगीः-"क्या यह मदना है या है अन्य ?" खूब निरीक्षण करके पहचानी पुनः "क्या मयणाने नवीन पति किया है ? " अहा! . कर्मोंकी गति विचित्र है, कर्म वश जीव क्या 2 नहीं करता? अर्थात् सबही करता है; अतः अ. // 22 // Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradha