________________ R4ESAKARBACRes न्य पति धारण किया मालुम होता है, परन्तु यह कुशीला तो ज्ञात नहीं होती क्योंकि बड़ी | | भारी धर्म चुस्त है, क्या हुवा वह कुष्टीवर कहां चला गया, “क्या यह वही तो न हो"? कुछ | समझमें नहीं आता; इस प्रकार संकल्प-विकल्प करती हुई जिन दर्शन भी भूल गई, पुनः वि. | कल्प करने लगी-हा! हा!! हा!!! इस पुत्रीने हमारे कुलको कलङ्क दिया, जिन धर्मको दूषित |किया, अरे! मेरी कुंखको निन्दित की, हा! इसने नवीन पति अङ्गीकार कर लिया, अहो! जी| वनसे इसका मरजाना अच्छा था, सर्व स्थानपर हिलना हुई; इस तरह अनुच्च शब्दोंसे रुदन || करने लगी. ____ मयणासुन्दरी अपनी जननीको शोकपूर्ण दीन स्वरसे रुदन करती हुइ देखकर बोली-हे मात! हर्षके ठिकाने दुःख क्यों करती हो? पिताजीका दिया हुवा यह वही कुष्टीवर है, भावपूर्वक श्रीसिद्धचक्रका आराधन करनेसे सर्व रोग नाश हुवा, जिनेश्वरके मन्दिरमें सांसारिक वात HEAC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhat