________________ महाराजके बतलाये हुवे उपायको मयणाके वचनसे श्रीसिद्धचक्र महाराजका आराधन किया है | उससे तेरे पुत्रका शरीर सुवर्ण वर्णसा हो गया हैं, साधर्मियोंके दिये हुवे धन-धान्य पूरित एक मकानमें मदना सहित आनन्दसे रहता है, कुमार अब तक उज्जैनमें ही है, तुझे मार्गमें मिलेगा; इत्यादि. हे पुत्र! मुनिवर्यके इस प्रकार हितैषी वचन सुन उन्हे वंदनकर तथा प्रजुके दर्शनकर ह. हैती हुई उस नगरीसे यहां पर आई हूँ, मुनिवर्यके कथनानुसार ही मार्गमें वधुसहित तुझे 8 से देखा, ये सब वातचित होजाने के बाद पुत्र बोला-हे अम्ब ! प्रजुके दर्शन करने चलो, बस दे-16 रही क्याथी माता पुत्र और पुत्रवधु तीनो मिलकर श्रीऋषभदेव स्वामीके दर्शन करने गये, वहां पर प्रजु भक्तिकर मुनिश्चन्द्र महाराजको वंदन कर यथा योग्य स्थानपर बैठ गये-यतीश्वरने धर्म / / देशना सुनाई; इस अमृतरसका पान कर तीनो जने अपने मुकाम पर पहुँचे और शान्तिसे धर्म || ध्यान करने लगे-अब इस प्रस्तावको यहीं पर छोड़कर रूपसुन्दरीको कुछ हकीकत सुनाते हैं. Stoneheng Jun Gun Aaradhal FLAC.Gunratnasures..