________________ C चरित्र, // 10 // A4%AGRAA है जैसी तैसी आप अपनी एक कन्या प्रदान करें, हम लोग भी सब क्षत्रीय वंशज हैं, कर्म वश इस प्रस्ताव पहिला. से प्रकार रोग युक्त होगये हैं यह बात किसे कहें ? मगर आप बड़े भारी प्रतापशाली नरेन्द्र हैं। है इसलिये आपसे याचना की है. राजा मन्त्रीके वचन सुन ज़रा मुस कराता हुवा बोला हे गलितांगुले! रोगी पुरुषको ल-4 डकी कैसे दी जासके? अतः तुमको अन्य वस्तु जो चाहे सो मांगो में अवश्य प्रदान करूंगा-|| मन्त्री बोला हे नाथ! हमें दूसरी कोई चीज़ की जरूरत नहीं है, हमतो कदाच खाली वापिस | फिर जायंगे मगर तुमारी कीर्ति आजसे परिसमाप्त हुई, हम जहां तहां यही कहेंगे कि माल वेश्वर मनोवांच्छित देता है यह गलत है; अस्तु-तुमारा कल्याण हो; यह कह कर वह मन्त्री | 5 वापिस लौट गया. ... इस समय राजाको मदनसुन्दरीका वचन स्मरण हो आया जिससे विचारने लगा कि पुत्री // 10 // Jun Gun Aaradt