________________ | साथ सम्बंध करले-इन असह्य दुःखद वचनोंको सुनकर मयणासुन्दरीके नेत्रोंमेंसे चोधारा आँसु वहने लगे और गद् गद् कण्ठ हो अपने प्राणपतिसे प्रार्थना करने लगी:-हे प्राणाधार! इस भवमें मेरे आपही भर्त्ता और भरण-पोषण कर्ता हैं; मैं शील व्रतको धारण करनेवाली; सच्चे | जिन धर्मको पालन करनेवाली आपको हरगीज़ नहीं छोड़ सकती; हे स्वामिन् ! दैव योगसे | कदाचित् सूर्य पश्चिम दिशामें उगने लग जाय, मन्दराचलगिरी चलायमान हो जाय, पृथ्वी सहन शीलता त्याग करदे, समुद्र मर्यादा उलंघन करने लगे, अमृत मरण और ज़हर जीवन देने || लग जाय, अग्नि शीतता और जल उष्णता को स्वीकार ले इत्यादि अनहोती बातें जी आश्चर्य भूत होकर होने लग जाय मंगर तो भी मदना अपने शीलरत्नसे चल नहीं सकती; इन्द्र-चन्द्र- | नागेन्द्र-नरेन्द्र की भी यह ताकात नहीं कि मुझे चला सके-हे प्रियतम! आगे से इस प्रकार वज़ तुल्य वचन आप कृपाकर कभी न फरमावे; उम्बरराणा मदनाको सुदृढ़चित्ता जानकर | उसके साथ पलिव्यवहार किया और रात्री में दम्पति युगल सानन्द सो गये. ROCALECबारब P.AC.Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradh