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महोपाध्याय समयसुन्दर
जन्म और दीक्षा मरुधर प्रदेशान्तर्गत साचोर ( सत्यपुर) में आपका जन्म हुआ था, जैसा कि कवि स्वयं स्वरचित सीताराम चतुष्पदी के खएर ६ ढाल तीसरी के अन्तिम पद्य में कहता है:"मुझ जनम भी साचोर मांहि, तिहां च्यार मासि रह्या उछाहि ।"
[ पद्य ५०] भाप पोरवाल * (प्राग्वाट) ज्ञाति के थे तथा आपके मातु। श्री का नाम लीला देवी और पिता श्री का नाम रूपसिंह (रूपसी) था। कवि का जन्म समय अज्ञात है, किन्तु जैन साहित्य के महारथी श्री मोहनलाल " दुलोचन्द देशाई बी० ए०, एल० एल०बी० के मत को मान्य रखते हुये जैन इतिहास के विद्वान्
और मेरे मित्र श्री अगरचन्द जी नाहटा ने अपने "कविवर समयसुन्दर" + लेख में इनका जन्म काल अनुमानतः स० १६२० स्वीकृत * "प्रज्ञाप्रकर्षः प्राग्वाटे, इति सत्यं व्यधायि यः।१३।" वादी इष
नन्दन प्रणीत मध्याह्नव्याख्यानपद्धति । । कवि देवीदास कृत समयसुन्दर गीत, "मातु लीलादे रूपसी जनमिया।"
प०६] | "प्रथमनो ग्रन्थ भावशतक सं० १६४१ मां रचेलो मली आवे छे, तेथी ते वखते तेमनी उमर २१ वर्ष नी गणीए तो तेमनो जन्म सं० १६२० मां मूकी शकाय।" कविवर समयसुन्दर निबन्ध,
आनन्द काव्य महोदधि मौक्तिक ७, पृष्ठ २। + "परन्तु इनकी प्रथम कृति 'भावशतक' के रचना काल के
आधार पर श्री मोहनलाल दुलीचन्द देशाई ने उस समय इनकी आयु २०-२१ वर्षे अनुमानित कर जन्म काल वि० १६२० होने की सम्भावना की है जो समीचीन जान पड़ती है। वादी हर्ष
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