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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ को अपने में समा लेती है। जिससे वह वस्तु उस रंग में दिखाई देती है। __अतः अब प्रश्न उठता है कि जो वस्तुएँ सफेद दिखाई देती हैं वे किसी रंग की क्यों नहीं दिखाई देती? इसका यह कारण यह है कि श्वेत रंग उन्हीं वस्तुओं का होता है जिनका अपना कोई रंग नहीं होता। वे किसी भी रंग में रंगी नहीं जाती व निर्लेप अवस्था में रहती हैं। इसी कारण श्वेत रंग की वस्तुएँ शुद्ध पवित्र एवं सात्विक मानी जाती हैं।
इसी प्रकार जब कोई वस्तु सातों रंगो को अपने अन्दर समा लेती है अर्थात् प्रकाश की सातों रंग की किरणें उसी में समाविष्ट हो जाती है तथा अपने अन्दर से किसी किरण का कोई भी अंश बाहर नहीं फेकती तो वह वस्तु काले रंग की दिखाई देती है। अत: काली दिखाई देने वाली वस्तु में स्वार्थपरता होती है। त्याग की भावना नहीं होती, उसे लेना आता है, देना नहीं। इसी कारण काले रंग को ज्यादा लोग पसन्द नहीं करते हैं। काले रंग की वस्तुओं को पसन्द करने वाले व्यक्ति तामसिकवृत्ति व भोग प्रवृत्ति के होते हैं।
ग्रहों के प्रभावी रत्न विशेष ग्रह के लिए विशेष रत्न अनुभवी ऋषियों महर्षियों द्वारा सुनिश्चित किये हैं। ये रत्न जिन विशेष ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं उन ग्रहों की रश्मियों का प्रभाव यदि क्षीण होकर अपने प्रभावित व्यक्ति को हानि पहुँचाता है तो विशेष रत्न को धारण करने से उक्त ग्रह की रश्मियाँ सशक्त होकर प्रभावी व्यक्ति को लाभ पहुँचाने लगती हैं। अतः अशक्त ग्रह शान्ति के लिए निम्न रत्न धारण करने से लाभ होता हैग्रह का नाम
रत्न १. सूर्य
माणिक्य २. चन्द्रमा
मोती ३. मंगल
मूंगा ४. बुध
पन्ना ५. बृहस्पति
पुखराज
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