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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ २९. नर्म : पीलापन लिये लाल रंग। ३०. सुनेला : सुवर्ण में धूमिल वर्ण । ३१. धुनेला : उक्त वर्ण में जरा सा ही अन्तर। ३२. कटेला : बैंगनिया रंग। ३३. सितारा : विविध वर्ण पर सुवर्ण बिन्दू। ३४. स्फटिक : बिल्लोर सफेद। ३५. गोदन्त : साधारण पित्त, गाय के दन्त की तरह। ३६. तामड़ा : स्याही जैसा लाल रंग। ३७. लुधिया : मंजीठ की तरह लाल। ३८. हालन : मटमैला गुलाबी, हिलता है। ३९. सिजरी : सफेद के ऊपर श्याम वर्ण वृक्ष का आभास। ४०. मुवेनफज़ : सफेद रंग में बालों की तरह रेखायें। ४१. कहरवा : पीला रंग, कपूर की जाति का। ४२. झरना : मटिया रंग, पानी देने से सारा पानी झर जाता है। ४३. संगे बंसरी : सुर में उपयोगी होता है। ४४. दाँतला : पित्त प्रमुख सफेद, शंख की तरह। ४५. मँकड़ी : इसी जन्तु की जाति का रंग और जाली। ४६. संखिया : शंख की तरह सफेद। ४७. गुदड़ी : प्रायः फकीरों के उपयोग में आता है। ४८. काँसला : हरित, श्वेत वर्ण। ४९. जिफरी : हरित, आसमानी-सा। ५०. हदीद : भूरेपन सहित काला रंग। ५१. हवास : सुनहरा, हरित रंग। ५२. सींगली : काला-लाल मिश्रित। ५३. देडी : काला, खरल-कटोरी में उपयुक्त। ५४. हकीक : अनेक रंग, लकड़ी की मूंठ में ज्यादा उपयोगी। ५५. गौरी : रत्न के तौल के लिये उपयोगी। ५६. सीपा : काला रंग, मूर्तियों में उपयोगी।
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