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* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * १. माणिक्य में यदि काला, सफेद तथा शहद जैसे छींटे हों तो काले
छींटे से दुःख, सफेद से बेइज्जती या बदनामी और शहद के
समान छींटे से आयु, धन, सुख-सम्पत्ति सबका विनाश होता है। २. यदि माणिक्य में जाले जैसा निशान हो तो कलह की वजह से धन
और स्थान नष्ट होता है। ३. चमक से रहित माणिक्य सुन्न कहलाता है। इसे धारण करने से
भाई को कष्ट व दुःख होता है। ४. माणिक्य में गड्ढा हो तो शरीर दुर्बल करता है। ५. माणिक्य यदि धुएँ के रंग जैसी हो तो उसे पहनने से अचानक ही
बिजली से आघात लगता है या बिजली गिरती है। ६. जिस माणिक्य में बहुत दोष और अवगुण हों तो उसे कभी धारण
नहीं करना चाहिये क्योंकि वह मृत्युकारक होता है। ७. दूध के समान माणिक्य को दूधक कहते हैं इससे पहनने से पशु
का नाश होता है। ८. पृथ्वी के मटमैले रंग के समान माणिक से पेट के विकार उत्पन्न
होते हैं तथा पुत्र की उत्पत्ति में बाधा होती है। ९. दो रंग की चमक लिये माणिक्य को पहने से धारक के पिता को
और स्वयं उसे दुःख प्राप्त होता है। १०. माणिक्य में चिटकापन हो और उसके टूटने की सम्भावना हो तो
धारण करने वाले को शस्त्र से चोट लगती है और लड़ाई के मैदान
से भागने का कलंक लगता है। माणिक्य का परिचय पर्यावाची शब्द :सं. माणिक्य, पद्मराग, कुरुविन्द, वसुरत्न, रत्नायक,
लोहित, रविरत्न, लम्मी पुण्य, सौगन्धिक इत्यादि। हिन्दी : लाल, चुन्नी, माणिक्य। मराठी एवं बंगला : माणिक्य।
तेलगु : माणिक्यम्। फारसी : याकूत।
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