Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 173
________________ १७२ __ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * नष्ट हो जाती है। रोगी प्रायः लाल और हरे रंग में अन्तर नहीं कर पाता। ज्योतिषीय विचार-दृष्टिपटल पर सूर्य और चन्द्रमा का नियन्त्रण है। यदि ये दोनों लग्न, द्वितीय या बारहवें भाग में हो अथवा सूर्य चन्द्र का योग छठे तथा आठवें भाव में हो तो या सूर्य नीच राशि का हो तो वर्णांधता हो सकती है। कर्क या सिंह राशि में पाप ग्रहों का होना भी इस रोग की सम्भावना होता है। लाल माणिक्य अथवा मूंगे के साथ मोती धारण करना लाभकारी माना गया है। कब्ज उदर रोगों में यह सबसे ज्यादा पाया जाने वाला रोग है। आँतों में पाचन क्रिया ठीक प्रकार न होने के कारण मल का पूरी तरह निष्कासित न होना तथा पेट सूख जाना तथा खुलकर शौच न आने से कब्ज रोग होता है। इस रोग के शुरू में अपच, खट्टी डकारें आना, सिर दर्द, वमन आदि कब्ज रोग के लक्षण हैं। खाने-पीने में परहेज रखने से ही इस रोग से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषीय विचार-शरीर में अवरोध का कारक शनि है। शनि यदि कर्क, कन्या या छठे भाव में हो तो कब्ज होने की सम्भावना होती है। कन्या या तुला राशि में अशुभ ग्रहों की उपस्थिति कब्ज होने का संकेत करते हैं। ___ लाल मूंगा तथा लाल कपड़ा धारण करें। सोने की अंगूठी में पुखराज पहनने से लाभ होगा। हृदय रोग हृदय रोग के अन्तर्गत अनेक रोग आते हैं। जैसे, हृदय गति रुक जाना, हृदयाघात (हार्ट-अटैक) हृदय के वॉल्व में छिद्र हो जाना आदि इस प्रकार के रोग हैं जो हृदय रोग के अन्तर्गत आते हैं। हृदय रोग वंशानुगत भी हो सकते हैं। प्रायः उच्च रक्तचाप के रोगी इस रोग से पीड़ित होते हैं। रक्त को शुद्ध करने की हृदय की क्षमता कम होती जाती है तथा थकान का शीघ्रता से अनुभव होने लगता है। हृदय रोग होने के अन्य कारण चिन्ता, अधिक तनाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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