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★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * का स्वामी बृहस्पति है। नीच या कमजोर चन्द्र, मंगल तथा राहु जब भी गोचर में हो तो वृष या मिथुन राशि में संचार करते हैं और उन पर शनि की दृष्टि हो तो यह रोग अपना तेज प्रकोप दिखाता है। मूनस्टोन तथा गोमेद धारण करने से इस रोग का प्रकोप कम हो जाता है।
मोतियाबिन्द यह एक नेत्र रोग है जो अधिकतर प्रौढ़ तथा वृद्धों को ही होता है। इस रोग में आँख की पुतली (रेटिना) पर एक बारीक-पतली सी झिल्ली की पर्त बन जाती है, जिसके कारण रोगी को सब कुछ धुंधला दिखायी पड़ता है। इस रोग से मुक्ति के लिये एक छोटा सा सामान्य ऑप्रेशन किया जाता है।
ज्योतिषीय विचार-राशिचक्र की वृष और मीन राशियाँ क्रमश: दायीं तथा बायीं आँख का संचालन करती हैं। यदि शुक्र और बृहस्पति एक साथ ही छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठ जाये तो मोतियाबिन्द का होना निश्चित होता है। यदि मंगल, बृहस्पति तथा शुक्र कहीं भी एक साथ बैठ जाये तो काला या सफेद मोतियाबिन्द होने का योग बनता है।
पन्ना को नेत्र ज्योति में वृद्धि करने में सहायक माना गया है और मोती को खोई नेत्र ज्योति प्राप्त कराने में। रोग के उपचार के दौरान माणिक्य धारण करें। गर्मियों में माणिक्य के स्थान पर लाल मूंगा पहनें। मूंगा, मोती तथा पन्ना ३ रत्ती प्रत्येक हिसाब से एक साथ अंगूठी में जड़वाकर या पेण्डेण्ट में धारण करें, लाभ होगा।
चिकन पॉक्स यह रोग बाल रोगों के अन्तर्गत आता है तथा इस रोग से ग्रस्त लोगों में प्रायः ९०% बच्चे होते हैं। यह एक संक्रामक रोग है तथा जीवन काल में प्रायः एक ही बार होता है। इस रोग का प्रारम्भ ज्वर, वमन तथा बेहोशी इत्यादि लक्षणों के साथ होता है। फिर पूरे शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने हो जाते हैं। ७-८ दिनों तक यह रोग पूर्णतया अपने प्रचण्ड रूप में रहता है तथा स्वतः ही फिर शान्त भी हो जाता है।
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