________________
* रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान *
१८९ ज्योतिषीय विचार-जन्मकुण्डली में सातवाँ भाव गुदा का कारक है। इस भाव में पाप ग्रह बैठे हों और मंगल की दृष्टि हो तो बवासीर रोग होता है। आठवें भाग में स्थित शनि, राहु बारहवें भाव के केन्द्र तथा सूर्यचन्द्र योग भी बवासीर होने का संकेत करता हैं।
सफेद मोती, मूनस्टोन तथा लाल मूंगा धारण करना लाभकारी माना गया है।
स्मृति दोष अत्यधिक नर्वस होना या संज्ञा शून्यता तथा अधिक तनावपूर्ण सदमा आदि परिस्थितियों के कारण यह रोग हो जाता है। यह विशेष प्रकार का स्नायविक दोष है। इसमें अतीत की कुछ घटनायें व्यक्ति को याद नहीं रहती हैं। इस स्मृति दोष के बढ़ जाने पर रोगी की दिनचर्या तथा खान-पान को सन्तुलित करना बहुत आवश्यक है।
ज्योतिषीय विचार-लग्न या लग्नेश को पाप ग्रह दुःखी करें या सूर्य-बुध राशि होकर शनि या शुक्र द्वारा पीड़ित हो तो स्मृति दोष की शिकायत होती है। मेष राशि में सूर्य, मंगल तथा शनि का योग भी इस रोग का कारण है।
मोती या माणिक्य गले में धारण करें। एक हाथ में ६ रत्ती का पन्ना तथा दूसरे में सात से ९ रत्ती का मूंगा चाँदी की अंगूठी में पहनें। चाँदी, सोना ताँबा मिश्रित धातु का कड़ा पहनने से लाभ होगा।
स्वर भंग (आवाज फटना) यह स्वर नलिका में प्रदाह से उत्पन्न होने वाला रोग है। अत्यधिक शराब पीना तथा धूमपान करने से भी स्वरभंग की शिकायत हो जाती है । स्वर नालिका में संक्रमण जीवाणुओं के कारण होता है। आवाज फट सी जाती है तथा बोलते समय घरघराहट सी आवाज निकलती है। सामान्य उपचार करने पर यह रोग ठीक हो जाता है। ___ ज्योतिषीय विचार-वृष राशि गले की अधिपति है। जबकि स्वर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org