Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 189
________________ १८८ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * कमर दर्द यह रोग भी बहुत कष्टदायक होता है तथा सिरदर्द की भाँति असहनीय होता है। इस रोग के अनेक कारण हैं। कोई भी व्यक्ति कमर दर्द से कभी भी पीड़ित हो सकता है। एक ही स्थिति में बैठे रहना या खड़े होकर कार्य करना, भारी बोझ उठाना, असुविधाजनक बिस्तर पर सोना इसके मुख्य कारण हैं। इस रोग के उपचार हेतु प्रतिदिन व्यायाम करना बहुत आवश्यक है। ज्योतिषीय विचार-इस तरह के रोगों का कारण शनि ग्रह है तथा बुध राशि कमर का स्वामित्व है। इस राशि पर पाप ग्रहों की दृष्टि होने या शनि-चन्द्र की युति हो तो भी कमर दर्द हो सकता है। ९ रत्ती का मूंगा या माणिक्य तथा लोहे का छल्ला धारण करें। ३:२ के अनुपात में गोमेद और नीलम एक ही अंगूठी में पहनना लाभकारी है। गंजापन असमय बालों का झड़ना व युवावस्था में सिर के बाल झड़ जाना किसी प्राणी के लिए परेशानी हो सकती है। चिकित्सक इस रोग को असाध्य रोग मानते हैं। लेकिन बीमारी या एलर्जी से झड़े बाल दोबारा आ जाते हैं। ४० वर्ष की आयु में गंजापन होना कोई चिन्ता की बात नहीं है। ज्योतिषीय विचार-सूर्य लग्न, तुला या मेष राशि में हो और शनि को देखता है तो रत्न धारण करना चाहिये। ८ रत्ती का नीलम तथा ५ रत्ती का पन्ना पहनने से लाभ होगा। पुखराज व माणिक्य एक साथ पहनने से गंजेपन से मुक्ति पायी जा सकती है। बवासीर इस कष्टदायक रोग में मलद्वार पर छोटे-छोटे मस्से निकल आते हैं। जो मल करते समय और भी फैल जाते हैं। जिससे बहुत दर्द होता है तथा कभी-कभी रक्तस्राव भी होने लगता है। काफी समय तक कब्ज होना इस रोग का मूल कारण है। इसका उपचार चिकित्सक द्वारा कराना चाहिये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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