Book Title: Ratna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Author(s): Kapil Mohan
Publisher: Randhir Prakashan Haridwar

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Page 182
________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * १८१ एक चाँदी की रत्नरहित अंगूठी तथा ताँबे का कड़ा धारण करें तो पीलिया से रक्षा होती है। यदि पीलिया हो जाये तो पुखराज उतार दें। मस्तिष्क ज्वर इस रोग से मस्तिष्क की नसें सक्रिय तथा जागृत व बेकाबू हो जाती है। रीढ़ की हड्डी पर अनावश्यक दबाव पड़ने से भी मस्तिष्क ज्वर होने का खतरा रहता है, मांसपेशियों का तनाव बढ़ जाता है। मेनिनजाइप्सि नामक एक अन्य मस्तिष्कीय ज्वर से मस्तिष्क की झिल्ली क्षतिग्रस्त हो जाती है। यह एक भयानक रोग है इससे मनुष्य की जान भी जा सकती है। इस ज्वर के शुरु में रोगी को हल्का बुखार सिर दर्द उल्टी तथा बेहोशी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इसलिये ऐसे रोगी को तुरन्त डाक्टरी उपचार देना चाहिये। ज्योतिषीय विचार-जब मेष राशि के स्वामी पर मेष राशि का अधिकार हो और सूर्य तथा मंगल कमजोर हो या पाप ग्रहों से पीड़ित हों तब यह रोग होने की आशंका रहती है। चन्द्र और बुध ग्रहों का योग जातक की जन्मकुण्डली के छठे, आठवें या बारहवें भाग में हो तो भी मस्तिष्क ज्वर हो सकता है, मेष, मंगल और बुध अगर संयुक्त रूप से पाप ग्रहों द्वारा आक्रान्त हों तो भी मनुष्य को यह रोग होने की सम्भावना होती है। इसके निवारण के लिए लाल मूंगा, पीला पुखराज तथा पन्ना धारण करें। तपेदिक टी.बी. के नाम से जानी जाने वाली इस बीमारी का अधिकांश प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है, शरीर की हड्डियाँ भी इसकी चपेट में आ जाती है। यह एक संक्रामक रोग है। इस रोग के किटाणु शरीर में प्रवेश करते ही अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देते हैं । इस रोग का उपचार मँहगा तथा काफी समय तक चलता है। आरम्भ में इस रोग के कोई लक्षण स्पष्ट नहीं होते लेकिन बाद में लगातार खाँसी आनी, थूक में खून आना, हल्का ज्वर रहना तथा थकान महसूस करना आदि इसकी निशानी हैं। ज्योतिषीय विचार-जब चन्द्र, शनि, बृहस्पति, मिथुन या कुम्भ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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