________________
१८३
* रल उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * पत्थर की खदानों में काम करने वाले व्यक्ति इस रोग के शिकार होते है। किसी भी आयु में स्त्री, पुरुष, बच्चों को यह रोग हो जाता है। श्वास नली में अवरोध तत्त्व होने से रोगी को सांस लेने में परेशानी होती है तथा तेज खाँसी का दौरा पड़ता है। जुकाम-खाँसी बिगड़ जाने से भी दमें की शिकायत हो सकती है। सांस लेते समय गले में घरघराहट होना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। अच्छे चिकित्सक से इस रोग का उपचार करायें।
ज्योतिषीय विचार-बुध नीच या शत्रु राशि का शनि, दमा रोग के कारक है। मेष सिंह या कर्क राशि में शनि की उपस्थिति चौथे में हो तो खाने-पीने में असावधानी व प्रदूषण के कारण भी दमा होता है। मिथुन या सिंह राशि में चन्द्रमा की उपस्थिति भी इस रोग का कारण है। ७ रत्ती का पन्ना, ५ रत्ती का पुखराज तथा ६ रत्ती का मूनस्टोन धारण करें। कार्तिक पूर्णिमा की रात को चाँदनी में बाहर रख कर खीर को सुबह खानी चाहिये। इससे लाभ होगा।
लग्न में स्थित वक्री ग्रह इस रोग के कारक हैं। मिथुन, कर्क, सिंह, तथा कन्या राशियों का राहु इस रोग का संकेतक है।
नवधातु में काला अथवा लाल अकीक धारण करें। सोने या चाँदी में ८-९ रत्ती का लाल मूंगा तथा ३ से ५ रत्ती का गोमेद अष्टधातु में धारण करना भी लाभकारी माना गया है।
कुकर खाँसी यह बच्चों को होने वाला रोग है जो अधिकतर मौसम बदलने तथा अधिक सर्दी बढ़ने से हो जाता है। यह एक बच्चे से दूसरे बच्चे को होने वाला संक्रमणीय रोग है। जो बच्चों को बहुत जल्दी हो जाता है। इस रोग का संक्रमण बैक्टीरिया द्वारा होता है। सामान्य उपचार करने से यह रोग १०-१५ दिन में ही ठीक हो जाता है।
ज्योतिषीय विचार-जन्म के समय यदि तुला या मिथुन राशि में बुध आक्रांत हो तो यह रोग होने का भय रहता है। यदि बुखार भी हो तो मंगल भी इसका एक कारक हो सकता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org